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RISE TO POWER / राइज टू पावर

Author Name: Jagnandan Tyagi | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

सबने कहा ये नामुमकिन है। उसके पास न पैसा था,  न पहचान,  न ही कोई सहारा— सिर्फ वो सवाल जो कोई सुनना नहीं चाहता था, और एक सपना जो उसके हालात से कहीं बड़ा था। लेकिन मिनी कोई साधारण लड़की नहीं थी। वो ख़ामोशी में तूफ़ान थी, अंधेरे में एक चिंगारी— जो बस अपने वक्त का इंतज़ार कर रही थी।

आख़िर एक ऐसी लड़की, जिसे समाज ने नज़र अंदाज़ कर दिया था, वो देश की सबसे ऊँची कुर्सी तक कैसे पहुँची?  उसने कौन-कौन से फैसले लिए जो उसकी ज़िंदगी बदल गए?  उसने क्या खोया, और क्या ऐसा था जिसे उसने किसी भी हालत में छोड़ने से इनकार कर दिया?

उसकी कहानी आपके विश्वासों को हिला देगी, आपके साहस को परखेगी, और आपको सोचने पर मजबूर कर देगी: क्या अगला महान नेता वही हो सकता है जिसे ये दुनिया सबसे कमज़ोर समझती है?

इस किताब को पढ़िए और जानिए वो सफर, जिसे कभी दुनिया जान ही नहीं पाई।

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जगनन्दन त्यागी

श्री जगनन्दन त्यागी एक भारतीय लेखक हैं, जिनकी पहली पुस्तक “द मशाल ऑफ जस्टिस” उनके साहित्यिक सफर की एक प्रेरणादायक शुरुआत रही। यह किताब न केवल उनके लेखन कौशल को दर्शाती है, बल्कि समाज और न्याय के प्रति उनकी गहरी समझ को भी उजागर करती है।अब, अपनी नईऔर बहुप्रतीक्षित किताब “राइज टू पावर” के साथ, वे फिर एक बार पाठकों के दिलों में गहराई तक उतरने को तैयार हैं।

श्री त्यागी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले में हुआ। उन्होंने वर्ष  1973 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद एक प्रतिष्ठित भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी में महाप्रबंधक  (जनरल मैनेजर) के रूप में लंबा और सफल कार्यकाल निभाया। सेवानिवृत्ति के पश्चात वे सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं और आज भी सीखते रहने में विश्वास रखते हैं।

तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने के बावजूद, साहित्य के प्रति उनका प्रेम कभी कम नहीं हुआ। लेखन उनके लिए केवल एक अभिव्यक्ति नहीं,  बल्कि जीवन को देखने और समझने का एक माध्यम है। उनकी कहानियाँ समाज, संस्कृति और मानवीय संवेदनाओं की सच्ची तस्वीर पेश करती हैं।वे उन भावनाओं और सवालों को आवाज़ देते हैं,  जिन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है।

उनकी रचनाओं में जीवन के छोटे-छोटे अनुभवों की सादगी और गहराई दोनों होती है, जिससे पाठक उनसे सहज रूप से जुड़ जाते हैं। चाहे न्याय की मशाल हो या सत्ता तक के सफर की कहानी—श्री त्यागी का लेखन एक ऐसा दर्पण है, जिसमें हम अपने समाज और खुद को साफ़ देख सकते हैं।

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