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Tarangini - Part 4 / तरंगिनी – भाग 4

Author Name: Indu Singh | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

नमन वीणा पाणी की जिनकी दी हुई मानस भाव तरंगे निःसृत हो कर आप सुधि पाठकों के हाथों में तरंगिनी भाग - 4 के रूप में इठलाती, लहराती हुई पहुँच गयी।

तरंगिनी भाग-4 मेरी तीन हिन्दी काव्य धाराओं - तरंगिनी भाग - 1, तरंगिनी भाग – 2, तरंगिनी भाग – 2  तथा दो उर्दू अदब की पुस्तक - इन्दु की शायरी भाग-1, इन्दु की शायरी भाग-2 के बाद पांचवां काव्य संग्रह है।

मेरी तरंगिनी क्या है, प्रेम समेकित गंग है, इसमें प्रेम का रूप उछाल पर है - प्रकृति प्रेम, ईश्वर प्रेम, देश प्रेम, पारिवारिक प्रेम, मानव से मानव का प्रेम, कृष्ण-राधिका प्रेम, मीरा - मुरली वाला प्रेम, अर्थात विभिन्न सरस छन्द विधाओं में बस प्रेम ही प्रेम समाहित है।

विभिन्न प्रकार के मात्रिक और वार्णिक छन्दों में लिखी गयी इस पुस्तक की रचनायें हिन्दी प्रेमियों और काव्यरसिकों को निश्चय ही प्रेममय कर देंगी यह मेरा विश्वास है।

नवाकुंर काव्य सृजनकर्ताओं के लिये यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी होगी क्योंकि रचनाओं पर छन्दों के नाम भी दिये हुये हैं।

अन्ततः छन्दों के जानकार पाठकों से विशेष अनुरोध है कि यथोचित प्रयासों के बावजूद छन्दों में कहीं कहीं टंकण मे गलती या बेध्यानी के कारण मात्रात्मक या वर्णात्मक भूलें हो सकतीं हैं तो भिज्ञ पाठक गण उसे सुधार कर पढ़ने की कृपा करेंगे।

शुभकामना के साथ —

- इन्दु -

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इंदु सिंह

मेरा जन्म बिहार के छोटे से शहर डुमराँव में 29 फरबरी 1952 को एक सुखी सम्पन्न परिवार में हुआ। नानी स्व छछन देवी और नाना स्व राजा प्रसाद सिंह के नेह-छोह और लाड़-प्मार की शीतल छाया में बचपन कब कैसे बीत गया पता ही नहीं चला.....

प्रारंभिक से माध्यमिक तक की शिक्षा तात्कालीन मुजफ्फरपुर जिला, वर्तमान सीतामढ़ी जिले के कमला बालिका उच्च विद्यालय डुमरा में सम्पन्न हुयी। इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक स्व. कुंजबिहारी शर्मा जी को शत शत नमन है जिनके कठोर स्नेहिल अनुशासन ने मेरे किशोरावस्था के व्यक्तित्व में सभी रंग समावेशित कर उन बुलन्दियों पर पहुँचा दिया जो मरते दम तक अपनी छव-छटा के साथ विद्यमान रहेंगी।

प्रकृति के कण कण से मुझे अत्यधिक प्यार है। मेरे बचपन का गाँव *रेबासी *जहां मेरी नानी माँ, नाना बापू और मेरी सखी सहेलियाँ थीं - की माटी को शत शत नमन है। 

विशेष आभार प्यार और अशेष आशीष मेरे नाती आयुष अम्बर को जो मेरी पुस्तकों का आकर्षक आवरण पृष्ठ तैयर कर उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं। 

अन्ततः बहुत बहुत आभार, शुभकामनाएं अनन्य स्नेह और आशीष बेटे अंकित मन्नू को जो पुस्तक प्रकाशन सम्बन्धी तमाम जिम्मेवारियों का निर्वहन पूरे लगन से कर प्रकाशन को संभव बनाते हैं...... 

शुभकामनाओं सहित 

—  इन्दु —

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