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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palतरंगिनी भाग - 1 के पश्चात तरंगिनी भाग 2 को काव्यग्राही पाठकों के हाथों सौंपते हुये अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है…
अपनी सकल कलाओं में लहराती इठलाती बलखाती तरंगिनी भाग - 2 की तरंगे निश्चित रूप से आपके हृदय भावों को तरंगित करने में समर्थ होगी, यह मेरा विश्वास है…
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.इंदु सिंह
मेरा जन्म बिहार के छोटे से शहर डुमराँव में 29 फरबरी 1952 को एक सुखी सम्पन्न परिवार में हुआ। नानी स्व छछन देवी और नाना स्व राजा प्रसाद सिंह के नेह-छोह और लाड़-प्मार की शीतल छाया में बचपन कब कैसे बीत गया पता ही नहीं चला.....
प्रारंभिक से माध्यमिक तक की शिक्षा तात्कालीन मुजफ्फरपुर जिला, वर्तमान सीतामढ़ी जिले के कमला बालिका उच्च विद्यालय डुमरा में सम्पन्न हुयी। इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक स्व. कुंजबिहारी शर्मा जी को शत शत नमन है जिनके कठोर स्नेहिल अनुशासन ने मेरे किशोरावस्था के व्यक्तित्व में सभी रंग समावेशित कर उन बुलन्दियों पर पहुँचा दिया जो मरते दम तक अपनी छव-छटा के साथ विद्यमान रहेंगी।
सीतामढ़ी शहर के लब्धप्रतिष्ठित चिकित्सक स्व. नरेन्द्र प्रसाद सिंह तात्कालीन सचिव रामसेवक सिंह महिला महाविद्यालय /मेरे फूफा जी तथा स्व. शारदा सिन्हा तात्कालीन प्राचार्य को शत नमन जिन्होंने मेरी मेधा की पूर्ण पहचान करते हुये मुझे महाविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय में व्याख्याता पद पर अस्थायी नियुक्ति प्रदान की।
गणपति की बुद्धि, माँ शारदे की विद्या है माँ दुर्गा की कृपा है, कृष्णा की बंशी है,राधा अनुरागी है, राम धनुर्धारी है, सीता प्यारी हैं, बजरंगी की ताकत है, शम्भू जटाधारी हैं, गौरी अपर्णा है, लक्ष्मी सम्पूर्णा हैं........
अपनी भाषा हिन्दी मुझे बहुत प्यारी है, अपना देश अपना तिरंगा मेरी शान है, अपना राज्य बिहार मेरा अभिमान है, जगज्जननि माँ सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी मेरी कर्मस्थली मेरी आत्मा है,
प्रकृति के कण कण से मुझे अत्यधिक प्यार है। मेरे बचपन का गाँव *रेबासी *जहां मेरी नानी माँ, नाना बापू और मेरी सखी सहेलियाँ थीं - की माटी को शत शत नमन है।
विशेष आभार प्यार और अशेष आशीष मेरे नाती आयुष अम्बर को जो मेरी पुस्तकों का आकर्षक आवरण पृष्ठ तैयर कर उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं।
अन्ततः बहुत बहुत आभार, शुभकामनाएं अनन्य स्नेह और आशीष बेटे अंकित मन्नू को जो पुस्तक प्रकाशन सम्बन्धी तमाम जिम्मेवारियों का निर्वहन पूरे लगन से कर प्रकाशन को संभव बनाते हैं......
शुभकामनाओं सहित
— इन्दु —
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