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Adhuri Nahi Main / अधूरी नहीं मैं

Author Name: Seema Punj | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

यह किताब स्नेहा की ज़िंदगी पर आधारित है। आज के समय में पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी कई बार लड़कियाँ अन्याय सहती हैं और समाज के डर से सच्चाई को छिपा लेती हैं।

शादी हो जाने का मतलब यह नहीं होता कि एक औरत की अपनी पहचान या ज़िंदगी समाप्त हो जाती है।

दुख की बात है कि हमारे समाज में अक्सर औरत ही औरत की सबसे बड़ी विरोधी बन जाती है।

विधवा हो जाने का अर्थ यह नहीं कि उसके जीवन के सारे रंग फीके पड़ गए हैं।

विधवा होना कोई अभिशाप नहीं है। मृत्यु पर किसी का वश नहीं होता। यदि किसी स्त्री का पति का निधन हो जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं कि वह केवल सहानुभूति की पात्र है — बल्कि वह एक मजबूत महिला है, जो अपने बच्चों को पालने और जीवन को फिर से संवारने का साहस रखती है।

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सीमा पुंज

सीमा पुंज एक फाइन आर्ट्स की अध्यापिका हैं, जिन्हें लेखन का गहरा शौक है। वे समाज में महिलाओं, विशेषकर विवाह के बाद उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों को उजागर करना चाहती हैं। उनका मानना है कि इन मुद्दों पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए।

वे यह संदेश देना चाहती हैं कि लड़कियों की पहचान केवल सुंदरता या रूप से नहीं, बल्कि उनके विचारों और चरित्र से होनी चाहिए। साथ ही, उन्हें यह सिखाना भी ज़रूरी है कि माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कारों का सम्मान करें, लेकिन जब जीवन में कुछ गलत हो रहा हो, तो चुप रहने के बजाय आवाज़ उठाना भी उतना ही आवश्यक है।

लेखिका का मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चों पर "संस्कारी" बनने का इतना दबाव नहीं डालना चाहिए कि वे अन्याय सहने लगें।

सीमा पुंज यह भी समझाना चाहती हैं कि बहू को भी परिवार का अहम हिस्सा समझा जाए। यदि उससे कोई गलती हो जाए, तो उसे अपनी बेटी की तरह प्यार से समझाया जाए, न कि तानों या उपेक्षा का शिकार बनाया जाए।

उनका विश्वास है कि पति-पत्नी का रिश्ता सबसे अनमोल होता है, और इस रिश्ते में किसी तीसरे को स्थान नहीं मिलना चाहिए। इसमें दोनों को एक-दूसरे के प्रति इतना समझदार होना चाहिए कि कोई बाहरी व्यक्ति उनके बीच ना आ सके।

यह कहानी नारी सशक्तिकरण, पारिवारिक सौहार्द और विवाहोपरांत स्त्रियों की स्थिति को एक संवेदनशील, सशक्त और सच्चे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है।

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