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Rome - Isaiyat ke poorv / रोम - ईसाइयत के पूर्व

Author Name: Praveen Kumar Jha | Format: Hardcover | Genre : History & Politics | Other Details

रोम आज ईसाइयत का एक मुख्य केंद्र है, लेकिन वह वैभवशाली रोमन साम्राज्य ईसाई नहीं था, जिसमें जूलियस सीजर और नीरो जैसों ने राज किया। जैसा कहा जाता है- रोम एक दिन में नहीं बना। कई बार गिरा, जल कर राख हुआ। कई बार फिर से नयी शुरुआत हुई। इसने गणतंत्र देखे, तो तानाशाही भी देखी। बर्बर गॉल से पराजय देखी, और ग्लैडिएटर खेलों की खूनी बर्बरता दिखायी। जूपिटर देवता के पूजक रोम ने एक मसीहा को सूली पर लटकते देखा। उनके अनुयायियों के सामूहिक नरसंहार के बाद आखिर ऐसी क्या घटना हुई कि वे खुद ईसाई बन बैठे? बॉन्जुरी प्रोजेक्ट की नयी पेशकश रोम के षडयंत्र, राजनीति, शक्ति, पूँजी, रोमांस, क्रूरता और आस्था से गुजरते हुए आज की दुनिया के सूत्र तलाशती है। 

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प्रवीण कुमार झा

 प्रवीण कुमार झा विविध रुचि के लेखक हैं, जिनकी हर पुस्तक अलग ही कलेवर है। उनकी चर्चित पुस्तक ‘कुली लाईंस’ (वाणी प्रकाशन) गिरमिटिया इतिहास पर गम्भीर शोध है, वहीं ‘वाह उस्ताद’ (राजपाल प्रकाशन) हिंदुस्तानी संगीत घरानों का क़िस्सों के माध्यम से इतिहास है जिसे 2021 में ‘Book Of The Year’ (कलिंग लिटरेचर फ़ेस्टिवल) से सम्मानित किया गया। मैंड्रेक प्रकाशन से नॉर्वे की संस्कृति पर आधारित एक रोचक पुस्तक है- ‘ख़ुशहाली का पंचनामा’।

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