राकेश घटनास्थल पर लड़की को बचाने की कोशिश करता है। परन्तु बलात्कारियों द्वारा उसे बेहोश कर घटना को अलग ही अंजाम देकर राकेश को मुलजिम बना दिया जाता है। इसके बाद खेल शुरू होता है। राकेश ने उन तीनों को पहचान तो नहीं लिया उसमें से एक रसूखदार बलात्कारी द्वारा जज का चोला पहन राकेश से सारे सबूत ढंूढने की कोशिश कर सबूत समाप्त करना चाहता है। लेकिन राकेश उससे भी कई गुना अधिक चालाक निकल जाता है। सीबीआई और अपनी महिला मित्र के माध्यम से बलात्कारियों को कुछ इस तरह से सजा देता है, क्या सजा देता है नाटक पूरा पढ़ें। औरत के सम्मान और रक्षा पर आधारित पुस्तक में लेखक कलावत के. एल. ने न्याय की अभिव्यक्ति पर प्रकाश डालने की कोशिश की है।